Two Line Shayari
6:25 PM
लोगो ने कुछ दिया, तो सुनाया भी बहुत कुछ;
ऐ खुदा;एक तेरा ही दर है, जहा कभी ताना नहीं मिला.....
तौहीन ना करना कभी "शराब" को कड़वा कहकर
ग़म मे डुबे शक्स से पुछिए इसमें "मिठास" कितनी हे...
एक तेरा ही नशा था जो शिकस्त दे गया मुझे ..
वरना मयखाने भी तौबा करते थे मेरी मयकशी से...
मुखौटे बचपन में देखे थे मेले में टंगे हुये,
समझ बढ़ी तो देखा लोगों पे चढ़े हुये !!
मुखौटे बचपन में देखे थे मेले में टंगे हुये,
समझ बढ़ी तो देखा लोगों पे चढ़े हुये !!
बिना किसी मदरसे गए उर्दू के शेर हिंदी में लिख लेता हूँ ,
इबादत मेरी राम भी सुनता है , रहीम भी सुनता है!!
हर मायूस को हँसाने का कारोबार है अपना..
दिलों का दर्द खरीद लेते है बस यही रोजगार है अपना..!!
वो बेचैनियाँ इस दिल की बढ़ाते हैं आजकल।
वो ख्वाबों में भी नक़ाब में आते हैं आजकल।
नसीब से तो बग़ावत कर ही लेते हम
मगर हमारे नसीब में नसीब नहीं होते है
मेरे लिबास से मेरी हैसियत का अंदाजा न कर मेरे दोस्त ,
अभी कफ़न ओढ़ लू गा तो कंधे पर उठाये घूमेगा
ना हारा है मेरा इश्क़ और ना वो मुझे तड़पाते हुए थकी है..!!
दोस्तों हवा चल रही है.... और दिया भी जल रहा है..!!
मैंने मरने की दुआ मांगी,जो पूरी ना हुयी,,,,
बस इसी को मेरे जीने की कहानी कह लो......
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